संवाददाता : गोड्डा, झारखंड 


बिहार सरकार ने प्रतिस्पर्धी निविदा प्रक्रिया के बाद अदाणी पावर लिमिटेड को 2,400 मेगावाट के भागलपुर (पीरपैंती) ताप बिजलीघर का ठेका आवंटित किया है। कंपनी ने तीन अन्य दावेदारों की तुलना में सबसे कम बिजली दर की बोली लगाई थी।


निविदा प्रक्रिया से जुड़े सूत्रों के अनुसार, अदाणी पावर ने इस परियोजना के लिए 6.075 रुपये प्रति यूनिट की बोली प्रस्तुत की। यह टोरेंट पावर, जेएसडब्ल्यू एनर्जी और ललितपुर पावर जनरेशन की बोलियों से सबसे कम थी।


इस दर में 4.165 रुपये प्रति यूनिट का स्थायी शुल्क और 1.91 रुपये प्रति यूनिट का ईंधन शुल्क शामिल है।


बिहार सरकार ने इस दर को 'अत्यंत प्रतिस्पर्धी' बताया है। सरकार ने यह भी कहा कि हाल ही में मध्य प्रदेश में इसी तरह की एक परियोजना के लिए स्थायी शुल्क 4.222 से 4.298 रुपये प्रति यूनिट रहा था।


राज्य सरकार ने बढ़ती बिजली मांग को पूरा करने के लिए यह खुली निविदा जारी की थी। अनुमान है कि 2034-35 तक राज्य की बिजली मांग दोगुनी होकर 17,000 मेगावाट से अधिक हो जाएगी।


अन्य बोलीदाताओं में, टोरेंट पावर ने 6.145 रुपये प्रति यूनिट, ललितपुर पावर ने 6.165 रुपये प्रति यूनिट और जेएसडब्ल्यू एनर्जी ने 6.205 रुपये प्रति यूनिट की बोली लगाई थी।



सूत्रों ने बताया कि सभी प्रस्तावों का मूल्यांकन ई-बोली प्रणाली के माध्यम से किया गया, ताकि पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहे।


इस परियोजना में लगभग 30,000 करोड़ रुपये का निवेश होने की संभावना है, जिससे राज्य में औद्योगिक गतिविधियों और रोजगार में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।


हालांकि, अदाणी समूह की इस कंपनी को बिजली परियोजना का यह आवंटन राज्य में जारी विधानसभा चुनाव प्रक्रिया के बीच राजनीतिक विवाद का विषय बन गया है।


पूर्व केंद्रीय बिजली मंत्री आर. के. सिंह ने बिहार में 'बिजली खरीद में घोटाले' के आरोप लगाए हैं।


विपक्षी दल कांग्रेस के महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, “अदाणी समूह को बिहार में विशेष रियायतें दी जा रही हैं। छह रुपये प्रति यूनिट की दर पर बिजली खरीदने का प्रस्ताव गरीबों और मध्यम वर्ग के पैसे को मोदी के करीबी उद्योगपतियों की झोली में डालने जैसा है।


हालांकि सूत्रों ने परियोजना आवंटन को लगाए गए इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि 6.075 रुपये प्रति यूनिट की दर उत्पादन लागत में हाल की वृद्धि के बावजूद प्रतिस्पर्धी है और इसमें अदाणी पावर को किसी तरह की रियायत नहीं दी गई। 


परियोजना के लिए चिह्नित जमीन राज्य सरकार के स्वामित्व में है और उसे नाममात्र किराये पर बिहार औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नीति, 2025 के तहत पट्टे पर दिया गया है। परियोजना की अवधि पूरी होने के बाद वह जमीन फिर से राज्य सरकार को मिल जाएगी। 


अधिकारियों ने कहा कि अदाणी पावर को कोई विशेष छूट नहीं दी गई है और कंपनी को ही इस बिजली संयंत्र का विकास एवं संचालन करना होगा।


भागलपुर परियोजना को सबसे पहले 2012 में बिहार राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी लिमिटेड ने प्रस्तावित किया था, लेकिन पर्याप्त निवेशक न मिलने के कारण इसे 2024 में नए सिरे से शुरू किया गया।

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