झारखंड के गोड्डा जिला स्थित ललमटिया कोयला खदान क्षेत्र के लोहंडिया के ग्रामीणों ने बिजली की मांग को लेकर दूसरे दिन भी हजारों की संख्या में ग्रामीण खदान में उतरकर ईसीएल का चक्का जाम कर डिस्पैच कार्य को ठप रखने में बरकार रहा। बंदी के कारण कोयला का डिस्पैच कार्य दो दिनों से बाधित है। ज्ञात हो की ग्रामीण पिछले एक महीने से ईसीएल की बिजली मांग को लेकर सांकेतिक आंदोलन करते आ रहे थे। लेकिन महीना दिन बीत जाने के बावजूद लोहंडिया में ईसीएल की बिजली मुहैया नहीं कराई गई तो। दूसरे दिन सोमवार को भी स्थानीय ग्रामीणों ने कोयला खदान में उतरकर धरना प्रदर्शन सुरु कर ईसीएल का डिस्पैच कार्य को बंद करा दिया है। ग्रामीणों का कहना है की जब तक ईसीएल की बिजली उपलब्ध नहीं कराई जाती है तब तक अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन करते रहेंगे। 


जाम स्थल पर राजमहल के जीएम ओपी सतीश मुरारी ने वार्ता के लिए पहुंचे लेकिन वार्ता विफल रहा। वही ग्रामीणों का कहना हैं। की हमलेगो का मांग जायज हैं। इस खदान से कई किलोमीटर दूरी पर स्थित कई गांवों को ईसीएल की बिजली मुहैया कराई गई है। लेकिन खनन कार्य से सटे लोहंडिया बाजार को बिजली मुहैया नहीं कराई जा रही हैं। जो की इस कोयला खदान से प्रभावित है इस इलाके के लोग धूल मिट्टी फाक रहे है। कई बीमारी के साथ ब्लास्टिंग से लोगों का घर बुनियाद हिल गया। इसके बावजूद भी ईसीएल की मनमानी के चलते इस इलाके के लोगो को मूल भूत सुविधा से वंचित रखा गया है। 


ग्रामीणों ने कहा की रोजाना हेवी ब्लास्टिंग से लोगों का घर फट कर चट्टाने गिरने लगी है। हेवी ब्लास्टिंग से इस इलाके के लोग खासे दसहथ में है। अब इस इलाके  के लोगों के लिए देश की ऊर्जा जरूरत को पूरा करने वाली कोयला मौत का कोफनाक मंजर बन चुका है। इसके बावजूद यहां के लोगों को मूलभूत सुविधा के नाम पर ठगा गया है। ईसीएल राजमहल कोल परियोजना ललमटिया के प्रभावित ग्रामीणों के साथ शोषण कर रही है। खनन क्षेत्र से सबसे नजदीक लोहंडिया बाजार को प्रबंधन की ओर से बिजली न देना बड़ी नाइंसाफी है। ग्रामीणों ने कहा कि यह लड़ाई ईसीएल से आर पार की लड़ाई है जब तक प्रबंधन लोहंडिया बाजार को बिजली मुहैया नहीं कराती हैं। तब तक सुनियोजित तरीके से खनन कार्य बंद रहेगा। जिसकी पूरी जवाब देही ईसीएल प्रबंधन की होगी। वही ईसीएल के डिस्पैच कार्य ठप रहने से प्रतिदिन करोड़ो का नुकसान बताया जा रहा है।

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