संवाददाता : सुजीत भगत
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड आंदोलनकारी दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन पर शोक व्यक्त किया जा रहा है। भाजपा नेता और बोरियो विधानसभा के पूर्व विधायक लोबिन हेंब्रम ने इसे झारखंड के लिए अपूरणीय क्षति बताया है।
हेंब्रम ने कहा कि गुरुजी की तबियत बिगड़ने से वे बहुत चिंतित थे। वे लगातार ईश्वर से उनके स्वस्थ होने की प्रार्थना कर रहे थे। लेकिन सुबह उन्हें दुखद खबर मिली कि गुरुजी अब हमारे बीच नहीं रहे। इससे पूरा झारखंड दुखी है।
वहीं मीडिया से बातचीत में लोबिन हेंब्रम ने बताया की शिबू सोरेन का मुख्य उद्देश्य झारखंड के आदिवासियों और मूलवासियों के जल, जंगल और जमीन को बचाना था। वे आदिवासियों के अधिकारों की लड़ाई लड़ते थे। गुरुजी जानते थे कि झारखंड में तांबा, कोयला, अभ्रक और एल्युमिनियम जैसे खनिज संपदा होने के बावजूद यहां के लोग कष्ट में हैं।
हेंब्रम ने बताया कि इसी कारण उन्होंने झारखंड अलग करने का आंदोलन चलाया। हम सब उनके साथ रहे। उन्हीं के प्रयासों का नतीजा है कि आज झारखंड एक अलग राज्य बना है।
1990 से पहले गुरुजी ने महाजनी आंदोलन शुरू किया था। हेंब्रम भी उस आंदोलन में शामिल हुए थे। अलग राज्य की लड़ाई हो या नाकेबंदी, उन्होंने गुरुजी के निर्देशों पर निस्वार्थ भाव से काम किया। दिशोम गुरु एक जमीनी नेता थे जो कि आदिवासी मूलवासियों के लिए अधिकारों की लड़ाई लड़ते थे।
हेंब्रम ने याद करते हुए कहा कि जब वे गुरुजी के साथ कही गांव जाते थे, रास्ते में गरीब लोगों से भेंट होती थी। अगर किसी का कपड़ा फटा या पुराना होता था, तो गुरुजी तुरंत अपनी जेब से पैसे निकालकर देते थे। उनकी इच्छा थी कि हर इंसान के पास अच्छे कपड़े हों। वे अचानक मुलाकातों में भी लोगों की हर तरह की सहायता करते थे।
हेंब्रम ने कहा कि गुरुजी का निधन झारखंड के लिए बेहद अपूरणीय है। आने वाले समय में गुरुजी का सपना साकार करने के लिए हम सभी को प्रयास करना होगा। उन्होंने राज्य अलग कर झारखंड की पहचान को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत किया है।
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