हालांकि ईसीएल राजमहल परियोजना के द्वारा कुछ क्षेत्रों में टैंकर से पानी दिया जाता है। लेकिन बागज़ोरी गांव को पानी नहीं मिलने से यहां के लोग गर्मी में पानी की समस्याओं से जूझ रहे हैं। वही ग्रामीणों ने कहा की पहले हमलोग गांव के दूर कुआं से पानी लाया करते थे। लेकिन वो कुआं भी सूखने के कगार पर है।अब उस कुएं से भी कीचड़ निकलने लगा है। ऐसे में लोग पीने के लिए पानी का भी उपाय नहीं निकाल पा रहे है। स्थानीय महिला ने कहा की पानी के किल्लत होने कारण सेलो लोडिंग पॉइंट स्थित कुआं से पानी लेने आते है। लेकिन यहां पर टैंकर में पानी भरने वाले चालक लोग पानी लेने से मना कर रहे है। जिसके कारण ग्रामीण और टैंकर चालक में विवाद का मसला बना रहता है वही टैंकर चालकों का कहना है कि सैलो लोडिंग पॉइंट स्थित चार कुआं है। जहां बागज़ोरी की कारीबन 10 - 15 महिला एक ही कुआं पर नहाती व कपड़ा खींचती है। और कपड़ा धो कर महिला लोग कुआं पर ही रख देती है। जो की कपड़ा का पानी कुआं में गिरता है। और इस कुआं का पानी प्रभावित कई क्षेत्रों के लोग पीते हैं।
वही टैंकर चालक ने कहा कि हमलोगो को पानी भरने के लिए 11 बजे रात से ही सैलो लोडिंग पॉइंट कुआं के पास लाइन लगाना पड़ता है। एक टैंकर को भरने में करीबन 2 घंटे का समय लगता है। वही ग्रामीणों ने बताया कि जिस कुआं से टैंकर को भरा जाता है। उस कुआं के पानी की गुणवत्ता की बात करें तो काफी कचड़ा पानी है। बेल्ट में चल रहा कोयला का डस्ट भी उड़ कर इस कुआं में आकर गिरता है। और यहीं पानी ईसीएल परियोजना ललमटिया के द्वारा ईसीएल से प्रभावित कई क्षेत्रों में भेजा जा रहा है। जिसके कारण यहां लोग बीमार पड़ रहे है।
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