झारखण्ड हाई कोर्ट ने रांची स्थित राजकीय एकमात्र फॉरेंसिक साइंस एंड लैबोरेट्री मैं रिक्त पदों पर नियुक्ति मामले में गलत सूचना देने पर कड़ी नाराजगी जताई है और उसके लिए झारखंड के राज्य सरकार पर ₹50000 का जुर्माना भी लगाया है. हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान मौखिक तौर पर कहा है कि सरकार ने इस मामले में अदालत का समय बर्बाद किया है,
इसलिए सरकार पर जुर्माना लगाया गया है. बताते चलें कि हाईकोर्ट ने धनबाद जज उत्तम आनंद की हत्या के मामले में स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई की थी. इस मामले पर जब कोर्ट मे जांच पर सवाल उठे तो हाई कोर्ट के सामने यह तथ्य सामने आया कि राज की फॉरेंसिक साइंस लैबोरेट्री मैं पद रिक्त होने के कारण कई मामलों की जांच प्रभावित हो रही है. इस बिंदु पर अदालत ने कई तारीखों में सुनवाई की. पिछली बार सुनवाई के दौरान जेएसएससी की ओर से अदालत को बताया गया था कि इन पदों पर नियुक्ति के लिए राज्य सरकार ने अधियाचना भेजी थी.
जेएसएससी ने इसमें सरकार से कुछ क्वेरी की है. जिन पर अब तक का जवाब का इंतजार है. पूर्व में सरकार की ओर से यह भी कहा गया था कि एफएसएल में कार्यरत संविदा कर्मियों की सेवा नियमित कर रिक्त पदों को भरा जाएगा. जो कि इस पर कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई थी और कहा था कि राज्य सरकार चतुर्थ वर्ग के पद पर आउटसोर्स कर्मियों को कैसे नियमित कर सकती है. अदालत ने सरकार से पूछा था कि एफएसएल मेरिट पदों पर नियुक्ति को लेकर सरकार की क्या मंशा है, और कितने पद रिक्त है और सरकार इसको लेकर क्या करेगी?
पिछली सुनवाई में जवाब में राज्य सरकार की ओर से कहा गया था कि एफएसएल मैं चतुर्थवर्गीय पदों में नियुक्ति के लिए जेएसएससी (झारखंड स्टाफ सिलेक्शन कमीशन) को अधियाचना भेजी गई है. लेकिन आज सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से बताया जाता है कि एफएसएल पर चतुर्थवर्गीय पदों का नियुक्ति जस्सी के माध्यम से नहीं होती है.
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