संवाददाता : अमरेंद्र सिंह बिट्टू ( गोड्डा, झारखंड )
बांग्लादेशियों ने बसा लिए हैं जमाई टोला : प्रदेश अध्यक्ष
गोड्डा : झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री सह झारखंड भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने गोड्डा के मेला मैदान में एसटी मोर्चा द्वारा संताल परगना आदिवासियों की घटती जन संख्या और लुटती जमीन विरोध जनाक्रोश रैली को संबोधित किया। उक्त कार्यक्रम भाजपा एसटी मोर्चा के जिला अध्यक्ष सुशील टुडू की अध्यक्षता में हुई। मंच संचालन एसटी मोर्चा के जिला उपाध्यक्ष सिमोन मरांडी ने की। वहीं सभी आदिवासी भाई- बहनों को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने शुरू से अंत तक संताली भाषा में ही अपनी बातों को रखा, परंतु अन्तिम में सभी पत्रकार और वहां मौजूद पार्टी के सदस्यों एवं अन्य लोगों को मंच पर लगे बैनर को दिखाकर अपने संबोधन में कहा कि आज झारखंड में आदिवासी की घटती जनसंख्या और लुटती जमीन के सम्बन्ध में बात करेंगे।
उन्होंने कहा कि झारखंड में 1951 के सेंसस रिपोर्ट में आदिवासी की जनसंख्या 44 प्रतिशत थी। पुनः 2011 में जनसंख्या 28 प्रतिशत हो गई, बीच में वैश्विक महामारी कोरोना के कारण सेंसस नहीं हो पाया, मतलब आदिवासी की जनसंख्या 16 प्रतिशत कम हो गई। आज सबसे बड़ी चिंता की बात यह हैं कि झारखंड में बांग्लादेश से चलकर पश्चिम बंगाल और अन्य जगहों पाकुड़ जिला और झारखंड के विभिन्न हिस्सों में बांग्लादेशी घुसपैठ लगातार आदिवासी बहन- बेटी और उनसे लव- जिहाद आदि से शादी कर उनकी जमीन, घर आदि कब्जा कर लिया हैं यहां तक कि आज पाकुड़ में जमाई टोला बस गया है। वहीं पंचायत चुनाव में मुखिया और जिला परिषद सदस्य तक के अप्रत्यक्ष रूप से सत्ता में काबिज हो गया है, भले ही वह प्रतिनिधि आदिवासी की बेटी है लेकिन उसका पति जोलहा है।
आज आदिवासी की जमीन, घर और गांव से लोग बेघर हो गए हैं और आदिवासी की जनसंख्या घटती जा रही है। जिस प्रकार से लोकसभा और विधानसभा में आदिवासियों का आरक्षण है ये आरक्षण सरकारी नौकरी में भी 26 प्रतिशत है। आबादी घटने से आरक्षण भी घटेगा, लोकसभा और विधानसभा में सीट भी कमेगी। हेमंत सोरेन को एसआईटी गठन कर इस मामले की जांच करवानी चाहिए लेकिन उनका ये कहता है कि ऐसी कोई बात नहीं। क्योंकि हेमंत सोरेन को केवल और केवल सत्ता की राजनीति और वोट की राजनीति दिखती है। आज भाजपा ही इन विषयों पर जनमानस पर सोचती है, कांग्रेस और सभी दल कभी भी इन विषयों पर कुछ नहीं कहती।
भाजपा और देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई ने झारखंड राज्य अलग बनवाया। कांग्रेस और राजद के साथ हमेशा जेएमएम सत्ता में रही लेकिन झारखंड अलग नहीं करवाए जबकि पच्चास साठ साल तक कांग्रेस ने देश में राज किया। जब भाजपा की सरकार केन्द्र में सत्ता में आई तब 15 नवंबर 2000 को अटल बिहारी बाजपेई ने झारखंड राज्य बनवाए। यहां तक ही नहीं उन्होंने देश में दस करोड़ आदिवासियों के लिए 700 जाति को ध्यान में रखकर आदिवासियों और इस भाषा को आठवीं अनुसूची में रखवाए जिससे आदिवासी बेटा- बेटी पार्लियामेंट में संथाली भाषा भी बोल सके, बात और भाषण दे सके और यूपीएससी, जेपीएससी परीक्षा एवं कई जगह संथाली भाषा में परीक्षा दे सके, भाजपा ने आदिवासियों के लिए कार्य किया।
बाबूलाल मरांडी ने यहां तक कहा कि कांग्रेस और सभी राजनीतिक दल वाली देश में प्रथम आदिवासी राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू को बनाए जाने के समय विरोध करने की बात कही लेकिन ये सम्मान भी भाजपा और देश के लोकप्रिय और यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कारण संभव हो सका। आज देश में उड़ीसा और आसाम में आदिवासी मुख्यमंत्री भी भाजपा ने बनाया। हेमंत सोरेन ने कहा था कि हर साल पांच लाख युवाओं को सरकारी नौकरी देगें, वहीं उन्होंने स्नातक और स्नातकोत्तर को बेरोजगारी भत्ता देने की भी बात कही थी। कोई वादा उन्होंने पूरा नहीं किया, उन्होंने ये सारी बात चुनाव से पूर्व कहा था, उन्होंने सबों को झूठा आश्वासन दिया। हेमंत सोरेन ने झारखंड के लोगों को ग्रीन कार्ड पर अनाज देने की बात कहकर झूठ बोला इसलिए उन्हें मोहराबादी मैदान में जाकर राज्य की जनता से माफी मांगना चाहिए कि कोई वादा पूरा नहीं कर पाए।
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि आज चुनाव नजदीक आ जाने पर राज्य की माता- बहनों को मंईयां सम्मान योजना के नाम पर एक हजार रुपए प्रति माह देने से क्या होगा, बीते 5 साल से वे क्या कर रहे थे। दिव्यांगजनों को साल में राशि देने की बात बोलकर भी सरकार अपनी बात से मुकर गई। इसलिए इस बार इस हेमन्त सोरेन की सरकार को उखाड़ फेंकने का काम करें। ये जल, जंगल, जमीन, बालू, खनिज सब का दोहन कर लूट मचा रही है। उक्त कार्यक्रम में मंच पर भाजपा जिला उपाध्यक्ष लक्ष्मी चक्रवर्ती, महामंत्री राजेश टेकरीवाल, जिला मीडिया प्रभारी बिमंत कुमार, प्रदेश मंत्री अनिता सोरेन, महामंत्री एसटी मोर्चा चूडा मरांडी, लीलशी हेंब्रम प्रबोध सोरेन, रविंद्र टुडू, दिनेश मुर्मू, महेंद्र मुर्मु, अनीशा मरांडी, मनोज मरांडी, पतराश बेसरा, सोनेलाल हंसदा, हुक्कुम सोरेन, दयानंद कोड़ा आदि मौजूद थे।
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