ऐसे में स्कूल प्रबंधन सहित जिले के शिक्षा पदाधिकारी पर भी कई बड़ी सवाल खड़ी हो रही है। आखिर ऐसे शिक्षक को किसने छुट दे रखी है। क्या विधालय में कभी जांच के लिए कभी शिक्षा पदाधिकारी नहीं आते। क्या जिले के आला अधिकारी इन पहाड़ि इलाको तक जांच में नहीं पहुंच पाते हैं। हम आपको बताते चलें कि ये क्षेत्र झारखंड के युवा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी का बरहेट विधानसभा क्षेत्र है। जहां विधालय तक पहुंचने के लिए अच्छी सड़क तक नहीं है। सड़क से तकरीबन 3 से 4 किलोमीटर उप्पर पहाड़ी क्षेत्र बड़ा चपरी गांव में सकूल स्थित है। ये बोआरीजोर प्रखंड के सुधूरवर्ती क्षेत्र है। जहां अच्छी शिक्षा के लिए नहीं बल्कि बच्चों को सीक्षा प्राप्त करने के लिए इस गांव में मात्र एक स्कूल है। जो की सालो साल बंद पड़ा रहता है। जब प्रखंड प्रमुख ने स्कूल का औचक निरीक्षण किया और ग्रामीणों से बात चीत के बाद जो बात सामने आई तो प्रखंड प्रमुख भी हैरान रह गई।
इस मामले पर जब DSE मिथिला टुडू से बात हुई तो उन्होंने कहा की ये मामला मेरे जानकारी में नही है ऐसा कैसे हो सकता है। अब आप ही बताये सूबे के मुख्यमंत्री जी जिले के dse मैडम को मालूम ही नहीं की जिले के अंदर कौन से विधालय संचालित है और कौन से विधालय संचालित नहीं है। ऐसे सुदूर वर्ती क्षेत्रो में सरकार यह दावा करती है। की सभी अनुसुचित जानजाति के लिए भी सिक्षा उपलब्ध कराई जाती है। किंतु यहां विधालय का निर्माण कर शिक्षकों की नियुक्ति कर सरकारी पैशो का बंदरबाट किया जा रहा है।
आखिर कहा है। जिले के आलाधिकारी, क्या जिले के आलाधिकारी की भी मिली भगत है। हालंकि इस मामले पर DSE मिथिला टुडू ने सिक्षक पर कार्यवाही की बात कहीं है। अब देखना दिलचस्प होगा की सालो साल स्कूल बंद रखने वाले शिक्षक पर क्या कारवाई होती है। या नहीं।
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