संवाददाता: रांची, झारखंड
अडाणी समूह के चेयरमैन गौतम अडाणी ने सोमवार को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (इंडियन स्कूल ऑफ माइन्स) धनबाद के शताब्दी वर्ष समारोह में कहा कि भारत को अपना विकास पथ स्वयं निर्धारित करना होगा। उन्होंने जोर दिया कि ऐसे वैश्विक दौर में, जहाँ राष्ट्र अपने हितों को सर्वोपरि रख रहे हैं और अंतरराष्ट्रीय गठबंधन कमजोर हो रहे हैं, भारत को आत्मनिर्भरता की राह चुननी होगी।
श्री अडाणी ने स्पष्ट किया कि 21वीं सदी में किसी भी राष्ट्र की संप्रभुता उसकी प्राकृतिक संपदाओं, ऊर्जा तंत्रों और तकनीकी क्षमताओं पर निर्भर करती है। इसलिए, भारत को अपनी आवश्यकताओं और आकांक्षाओं के अनुरूप ही निर्णय लेने चाहिए, जो देश के सर्वोत्तम हित में हों।
उन्होंने अपने संबोधन में आईआईटी (आईएसएम) धनबाद के ऐतिहासिक महत्व पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि यह संस्थान सौ साल पहले ब्रिटिश शासन के दौरान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा रखी गई दूरदर्शिता का परिणाम है, जिसे भारत के लिए खनन और भूविज्ञान में क्षमता निर्माण की आवश्यकता को
देखते हुए स्थापित करने का सुझाव दिया गया था। अडाणी ने कहा, "यदि हम अपने पैरों के नीचे बसे संसाधनों को समझें और उन ऊर्जा तंत्रों को नियंत्रित करें जो हमारी प्रगति को शक्ति देते हैं- तो हम आर्थिक स्वतंत्रता की मजबूत नींव रखते हैं।"
श्री अडाणी ने "नैरेटिव कोलोनाइजेशन" से सावधान रहने का आग्रह किया। उन्होंने चेतावनी दी कि विकसित राष्ट्र, जिन्होंने ऐतिहासिक रूप से भारी उत्सर्जन किया है, अब विकासशील देशों को उनके विकास मार्ग चुनने में प्रभावित करने का प्रयास कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, "यदि हम अपनी कथा पर नियंत्रण नहीं रखेंगे, तो हमारी आकांक्षाओं को अवैध ठहराया जाएगा और हमारे बेहतर जीवनयापन के अधिकार को वैश्विक अपराध की तरह प्रस्तुत किया जाएगा।" यह प्रवृत्ति विभिन्न अंतरराष्ट्रीय पूर्वाग्रहों को दर्शाती है। अडाणी ने डेटा का हवाला देते हुए बताया कि भारत दुनिया के
सबसे कम प्रति व्यक्ति उत्सर्जन करने वाले देशों में शामिल है। इसके अतिरिक्त, भारत ने 50% से अधिक नॉन-फॉसिल इंस्टॉल्ड कैपेसिटी का लक्ष्य निर्धारित समय से पहले हासिल कर लिया है। इसके बावजूद, वैश्विक ईएसजी ढाँचों में भारत के प्रदर्शन को कमतर आंकने की प्रवृत्ति देखी जाती है।
ऊर्जा सुरक्षा और नवीकरणीय ऊर्जा पर जोर
अडानी ने समूह की ऑस्ट्रेलिया स्थित कार्माइकल खदान का उल्लेख करते हुए कहा कि यह परियोजना भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने के लिए विकसित की गई, बावजूद इसके कि यह “सदी की सबसे विवादास्पद पर्यावरणीय और राजनीतिक लड़ाइयों में से एक” रही।
साथ ही उन्होंने गुजरात में 30 GW क्षमता वाले खवडा नवीकरणीय ऊर्जा पार्क का भी उल्लेख किया, जिसके बड़े हिस्से अब संचालित हो रहे हैं।
आईआईटी (आईएसएम) धनबाद के लिए दो नई पहल
कार्यक्रम में श्री अडाणी ने संस्थान के लिए दो प्रमुख घोषणाएँ कीं—
1. हर वर्ष 50 पेड इंटर्नशिप, जिसमें प्री-प्लेसमेंट अवसर भी शामिल होंगे।
2. अदाणी 3एस माइनिंग एक्सलेंस सेंटर की स्थापना, जिसे टेक्समिन के सहयोग से विकसित किया जाएगा। इसमें मेटावर्स लैब, ड्रोन फ्लीट, सिस्मिक सेंसिंग सिस्टम और प्रिसिजन माइनिंग टेक्नोलॉजी जैसी अत्याधुनिक सुविधाएँ शामिल होंगी।
“भारत का दूसरा स्वतंत्रता संग्राम—आर्थिक और संसाधन संप्रभुता के लिए”
श्री अडाणी ने कहा कि यह समय भारत के “दूसरे स्वतंत्रता संग्राम” का है—इस बार लक्ष्य है आर्थिक और संसाधन संप्रभुता।
उन्होंने कहा, “लोग खनन को पुरानी अर्थव्यवस्था मान सकते हैं, लेकिन बिना खनन के नई अर्थव्यवस्था का निर्माण भी असंभव है।”
अंत में उन्होंने छात्रों से आह्वान किया—
“डर के बिना सपने देखें, निरंतर प्रयास करें, नवाचार को अपनाएँ, और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में ‘कोर के कस्टोडियन’ बनकर योगदान दें।”

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